उन्हीं राहों से फिर आज मैं गुज़रा हूँ
एहसास हुआ की मैं कितना तन्हा हूँ
मेरी यादों का समन्दर तो साथ चला
क्या मैं भी उसकी याद का तिनका हूँ?
सुन चाँद मेरी परछाई को मेरे साथ चला
नहीं तो लोग कहेंगे अकेला भटका हूँ
कदमो के निशां तो मिट गये शायद
तेरी खुशबु से लेकिन आज भी मैं महका हूँ
सन्नाटे में बैठा गुरिंदर ना आज जितना
कभी पायल की छन छन को तड़पा हूँ