अध्यक्षा का सन्देश
प्रिये मित्रों
मुझे यह बताने मे हार्दिक प्रसन्ता हो रही है की हमारे बीच उभरते कवियों लेखकों और कहानीकारों का मंच तैयार करते हुये हमारी प्रथम संगणकीय छपाई(Digital Print) सभी के लिए उपलब्ध है। चाहे आप उपन्यास, कविता, लिपियों उपरोक्त कुछ भी लिखते हों, यह मंच आपके श्रोताओं को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
मुझे यह घोषणा करने में बहुत प्रसन्नता हो रही है कि इस साल का “हास्य कवि सम्मेलन “शुक्रवार ४ मई,2018 को Day’s Inn, Richfield में आयोजित किया जाएगा। मैं समारोह के लिए “फ़्लायर”(Flyer ) और “पंजीकरण फॉर्म” संलग्न कर रही हूं। कृपया अपनी प्रतियां print करके ले आएं। समारोह से पहले भोजन की व्यवस्था रहेगी और मध्य मे स्वादिष्ट नाश्ता और चाय/शीतल पेय की व्यवस्था रहेगी ।
सादर सहित
रेनू चड्डा
अध्यक्षा(अंतरराष्ट्रीय हिंदी समिति)
उत्तर पूर्वीय शाखा
होली का त्यौहार कैसा हो
रंग बिरंगी गुलाल हो
रंगो की बहार हो
गुझिया की मिठास हो
एक बात जो सबसे ख़ास हो ,
सबके दिल मे प्यार ही प्यार हो
ऐसा अपना होली का त्यौहार हो !!!!
रंगो से भरी पिचकारी हो
हाथों मे गुलाल की थाली हो
स्नेह रंग भीगी दुनियां सारी हो
उल्लासो उमंग भरी हमारी यारी हो
एक बात जो सबसे ख़ास हो ,
सबके दिल मे प्यार ही प्यार हो
ऐसा अपना होली का त्यौहार हो !!!!
प्यार , स्नेह,समर्पण,दुलार ,मोहब्बत,सदभावना ,सदविचार
इन सात इंदरधनुषी रंगो की बौछार हो
खुशियां आँगन खेले सुबह और शाम
होली का दिन ला रहा आपके जीवन मे बहार हो
एक बात जो सबसे ख़ास हो ,
सबके दिल मे प्यार ही प्यार हो
ऐसा अपना होली का त्यौहार हो !!!!
प्रेरक उद्धरण (Quotes)
बारिश की बूँदें भले ही छोटी हों..
लेकिन उनका लगातार बरसना
बड़ी नदियों का बहाव बन जाता है…
वैसे ही हमारे छोटे छोटे प्रयास भी
जिंदगी में बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं…
यदि अंधकार से लड़ने का संकल्प कोई कर लेता है!
तो एक अकेला जुगनू भी सब अंधकार हर लेता है!!
सपने वो नहीं है जो हम नींद में देखते है,
सपने वो है जो हमको नींद नहीं आने देते।
यादों की कसक
यादों की कसक न मिटाना ,यही तो जीने के सहारे है,
राह दिखाकर छोड़ न जाना,याद रहे की हम तुम्हारे है।
अधरों के गीत न चुराना, वह तुमसे भी प्यारे है,
पिछली रात नयनों मे आना,वह स्वप्न भी तुम्हारे है ।
बाहों के बंधन कभी न छुड़ाना ,यही जीवन नदिया किनारे है।
प्रणय सुगंध के साँसों को महकाना ,यही जीवन बसंत के नज़ारे है।
साथ साथ चलकर ही जीवन बिताना ,फिर तो हर कदम पर बहारे हैं।
मेरे चाँद कहाँ हो तुम ,अब अकेले डर लगता है ,
आकर गले लग जाओ आशा का दीया जलता है।
इन यादों का हम क्या करें जो दिल से कभी नहीं जाती हैं ,
जहाँ भी हम जातें हैं ,तुम्हारी यादें साथ जाती है।
अकेला
उन्हीं राहों से फिर आज मैं गुज़रा हूँ
एहसास हुआ की मैं कितना तन्हा हूँ
मेरी यादों का समन्दर तो साथ चला
क्या मैं भी उसकी याद का तिनका हूँ?
सुन चाँद मेरी परछाई को मेरे साथ चला
नहीं तो लोग कहेंगे अकेला भटका हूँ
कदमो के निशां तो मिट गये शायद
तेरी खुशबु से लेकिन आज भी मैं महका हूँ
सन्नाटे में बैठा गुरिंदर ना आज जितना
कभी पायल की छन छन को तड़पा हूँ